Thursday, February 4, 2010

देख लेता है भीगे चेहरे के आंसू

rohit pareek

आप तेज बारिश में जा रहे हैं। दिल उदास है। आंखों में आंसू हैं। आपके गम के बारे में किसी को पता न लगे, इसलिए आपके होठों पर झूठी मुस्कुराहट है। बारिश की बूंदों में आपके आंसू पहचान ले। वहीं है दोस्त और इसी का नाम है दोस्ती। उसकी बातें सुनना अच्छा लगता हो..., उसके लिए बहुत कुछ करने का मन करे...। उसके होते हुए ऐसा लगे कि दुनिया में हम अकेले नहीं। उससे बातें करने का वक्त-बेवक्त कुछ नहीं। जब मन करे अपने दिल की बात उसके साथ बांट सके। दोस्त के अलावा वो और कौन हो सकता है। दोस्त जो आपकी जिंदगी बदल दें। दोस्त वह जो जिंदगी का हिस्सा बन जाए। रिश्तों के प्रति आपके विश्वास को और मजबूत बना दे। क्या वाकई आम लोगों के ऐसे दोस्त होते हैïं? जिनके जिन्दगी में शामिल होने से वे निहाल हो जाते हैं। शायद नहीं! दोस्ती के मायने अब बदल रहे हैं। वो बातें अब पुरानी हो चली है कि 'चले थे तन्हा, लोग मिलते गए कारवां बनता गया...Ó। महानगरीय जिन्दगी का यह कारवां भीड़ से ज्यादा कुछ नहीं है। अब दोस्ती का अर्थ वे लोग जिनके साथ पार्टी में मस्ती की जा सके। पिकनिक पर जा सके। शॉपिंग की जा सके।
जब कभी हम तनाव में होते हैं तो जरूरत होती है एक ऐसे दोस्त की जो होठों पर मुस्कुराहट ला सके। लेकिन, जरूरत के समय ऐसा कोई होता ही नहीं हमारे पास। दोस्ती के बदलते मायनों में बहुत कम लोग खुशकिस्मत होते हैं, जिनके पास ऐसा कोई होता है। दोस्तों की जगह अब कंप्यूटर, मोबाइल, बेजान डायरियों और सूनी सड़कों ने ले ली है। ये आपकी जिन्दगी में दखल नहीं देते। आज दोस्ती बदले में कुछ पाने का नाम हो गई है। प्रतिफल की उम्मीद के साथ दोस्त बनते है। दोस्ती ईश्वर का दिया हुआ अनमोल तोहफा है। कोई सात कदम साथ चलने पर ही दोस्त बन जाता है तो कोई जिन्दगीभर साथ रहने के बाद भी आपसे नहीं जुड़ पाता। बुरे लोग पहले भी थे और आगे भी रहेंगे। इसलिए सच्चा मित्र पाना थोड़ा मुश्किल है। ऐसे पवित्र रिश्ते की चाह रखने वाले को चतुराई का साथ तो छोडऩा ही पड़ेगा। इस रिश्ते में चतुराई की कोई जगह नहीं है।

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